आज जब गीत गाए
महफिल में सपने सजाए
मन ने आत्म सात किये
यही कहा सबने
यह कैसी रीत अपनाई |
गैरों को अपनाया मन से
अपनों से दूरी बढ़ाई
आखिर क्या सोचा मन में
कविता किसने दी सलाह कैसी
मेरी समझ ना आई
कविता में सब को अपनाया
\मेरे से कोसों दूर रहे
कभी मन से कारण सोचा होता
यदि समझ लिया होता मुझको
दूरी नजदीकियों में बदल जाती
पूरी जब ये होतीं
मन को ख़ुशी मिलती
और नजदीकिया रंग लातीं
प्यार में बदल जातीं|
आशा सक्सेना
सुंदर
जवाब देंहटाएंThanks for your c okl
हटाएंजीवन का कटु सत्य समझाती सुन्दर रचना !
जवाब देंहटाएंधन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए |
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