21 मई, 2023

आज का जीवन

 

इस संसार में अनेक जीव रहते

 अपना जीवन व्यापन करते

एक दूसरे को अपना भोजन बनाते

बड़े का वर्चस्व होता छोटे पर

इसी लीक पर चल रहा

 आज का समाज

ताकतवर से कोई

 जीत नहीं पाता

सदा उसके ही गीत गाता

उसके अनुरूप चलती

मन में सोचता कब तक गुलामी सहेगा

ईश्वर ने किस बात की सजा दी है

उसका अस्तित्व कैसे दबा दबा रहेगा

अब तो ऐसे वातावरण में

जीने का मन नहीं होता  

सोचता रहा कैसे भव सागर पार करू

दूसरा किनारा देख मन मुदित होता

जैसे ही प्रहार  लहर का होता

वह  जल में वह विलीन हो  जाता |

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