19 मई, 2023

राधा रानी व् कृष्ण








कान्हां ने काली कमली   पहनी 

बाँसुरी ली हाथ बन मैं बजाई 

मधुर धुन जब सुनी ग्वालों ने 

दौड़े चले आए वहां पर |

धेनु चराई शाम तक

घर को चले  थके हारे ग्वाले 

गायों को भी भूख लगी थी 

घर पर दाना पानी का प्रवंध किया

राधाने नाराजगी जताई 

रूठी रहीं बात न की 

कड़ी धुप में तुम मुरझा जातीं 

तुम क्या जानो ठंडी हवा में 

वन में घूमने का आनंद 

कृष्ण ने समझाया

 कल ले चलने का वादा किया

 तब जाके मन पाईं राधा |

आशा सक्सेना   |


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