18 मई, 2023

प्रथम गुरू को मेरा प्रणाम



मां ने दुलारा बहुत प्यार किया 

पर गलत बात पर बरजा 

मुझे अपनी गलती का एहसास कराया 

हर बात कायदे की सिखाई |

 कभी  न हो अधीर रहो धैर्य से 

यही शिक्षा दी माँ ने 

जिसने किया अलग

मुझको सब से |

ज ब रोना गाना मचाया मैंने 

गोद में ले कर समझाया मुझे 

शांत मन रहने को कहा |

इतनी शिक्षा दी मुझे

 तभी तो प्रथम गुरुं कहलाई 

|है मेरी माँ सब से  अलग 

उस जैसा  कोई नहीं है|

सदा उसकी छाया  में रहूँ

 दिल मेरा यही चाहता 

प्रथम गुरुं को मेरा दिल से प्रणाम 

यही मेरा मन कहता  |

आशा सक्सेना 

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