स्याह काली चूनर पहने
संध्या आई दिल जीतने
हमने भी सौहार्द्र का रुख दिखाया
बड़े प्यार से कालीन बिछाया |
चौमुख दियना महफिल में जलाया
कमरा हुआ जगमग आनेवाले लोगों के लिए
सब थे उत्सुक अपने अपने कलाम
सुनाने के लिए जज्बातों पर टिप्पणी लेने केलिए यह तो एक छोटा सा प्रयास था हिन्दी
लिखित साहित्य में योगदान के लिए |
अपनी सफलता पर मन हुआ प्रसन्ना
देख कर अपना आयोजन
संतुष्टि आई अपनी सफलता पर
यही अपेक्षा थी सबको मुझसे
जिसमें मैं सफल हुई
सब ने आशीष दिया मुझे और हिम्मत बधाई |
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर शुक्रवार 05 मई 2023 को लिंक की जाएगी ....
जवाब देंहटाएंhttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!
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धनुवाद रवीन्द्र जी मेरी रचना को आज के अंक में स्थान देने के लिए |
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना ! कई शब्दों की वर्तनी में सुधार की आवश्यक्ता है ! चेक कर लिया करिए !
जवाब देंहटाएंधन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया पंक्तियां
जवाब देंहटाएंधन्यवाद बेनामीं जी
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