14 जून, 2023

सालगिरह



शाम हुई घर में चहलपहल हुई

आने वालों का ताता लगा

आज है सालगिरह मेरे बेटे की

केक लाए मिष्ठान लाए

सभी को सजाया टेबल पर |

तरह तरह के मुखोटे बनाए सब के लिए

सभी को पहनाए तरह तरह से सजाए

अनोखा रूप दिया सब को बच्चे खुश हुए

अपने रूप देख ,अब हुई उत्सुकता केक काटने की|

 सब्र नहीं  हुआ कब केक काटा जाए सोचा

मिष्ठान का सेवन कब हो

और कब गाने गाए जाएं जन्म दिन के

डीजे पर थिरकने का उसका मन है नाचने का |

उसने गीत भी तैयार किया था नया सा

सब को बहुत प्यारा लगा सुन कर सुनकर

उसको उपहार दिया मिलजुलकर सबने

गीत को भी सुनकर ओर उत्साहित किया |

कितने खुश थे बच्चे यह आयोजन देख

बार बार ठुमकने लगते सब के सब

अब चलने की बारी आई उदासी मुह पर छाई

धीरे धीरे जमावड़ा कम हुआ |

अब ढोलक की बारी  आई

गीत हुए महिलाओं के मन में सोचे गीत गाए

हवामें उड़ जाने का बहाना लिया

हुआ समापन सालगिरह का |

आशा सक्सेना

8 टिप्‍पणियां:

  1. नमस्ते,

    आपकी रचना चर्चा मंच के अंक

    'चार दिनों के बाद ही, अलग हो गये द्वार' (चर्चा अंक 4668)

    में सम्मिलित की गई है। आप सादर आमंत्रित हैं।

    सधन्यवाद।

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    उत्तर
    1. धन्यवाद मेरी रचना की सूचना के लिए रवीन्द्र जी

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  2. इतने सुंदर जन्मदिन पर हार्दिक बधाई!

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  3. वाह खूब शानदार जश्न हुआ सालगिरह का ! सुन्दर शब्द चित्र बनाया !

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  4. धन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए |

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