कब जानना चाहा मैंने
तुम्हारे मन में क्या है
यदि बता दिया होता
तुम्हारी सलाह में कुछ तो दम
होता |
सारी दुनिया से अलग थलग रह
अपनी दुनिया को बसाया यहाँ
क्या यही बात तुमको ना भाई
कि मैंने भी दिखावा किया |
यह सच नहीं है
दिखावे का कोई रोल नहीं यहाँ
हर व्यक्ति के वास्तविक जीवन में
जब खोज पूरी हुई रंगीन जीवन हुआ |
मन को सुकून आया
महक में इसकी डूब कर |
, खुशी का कोई मोल नहीं है
वह है अनमोल
बड़े कष्ट से पाया है मैंने
अब तक सम्हाल कर रखा इसे
यही है मेरी संचित पूंजी
सब ने खुशबू को दूर से पहचाना है|
आशा सक्सेना
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