02 जुलाई, 2023

किसी का महत्व ना समझा तुमने

 

 

समाज का आदर ना सन्मान 

किसी से नाता ना जोड़ा

अकेले  रहे ,जीवन नीरस हुआ |

तुमने किसी को महत्व ना  दिया 

यही दिखता अहम् तुम्हारा 

किसी से लाभ कैसा कितना 

जोड़ तोड़ में लगे रहे 

यही तो कमीं रही तुममें 

जोड़ तोड़ कितना करोगे 

कभी तो सामान्य रूप से रहो 

यही एक आकांशा रही मन में 

तुम कब मुझे अपना समझोगे 

यह गैरों जैसा व्यबहार 

क्या सब से रहा तुम्हारा |

केवल मुझसे नहीं ,यह किस कारण 

बताया तो होता 

शयद कोई हल निकल पाता |

जीवन फिर से रंगीन होता 

जिन्दगी एक रस ना होती 

बहुत खुश हाल होती |

आशा सक्सेना 





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