वह कब तक तेरी राह देखे
तुम कब आओगे
आकर उसे ले जाओगे
उसने कहा था |
वह अब बिस्तर पर पडे रह कर
उकता गई है
जीवन में कोई रस नहीं अब
सारे ऋणों से मुक्त हो गई
अब चिंता मुक्त है |
प्रभू की कृपा चाहिये
उसकी भक्ति में खो जाना है
तभी चाहत है दिन रात
आराधना उसकी करने की
बड़ी इच्छा है उसकी |
पहले घर वर में व्यस्त रही
दूर की कभी ना सोची
अभी भी कुछ नहीं बिगड़ा है
कुछ तो समय बाक़ी होगा
क्यूँ ना सदुपयोग करे उसका
यही अब शेष रहा है
उसे जीवन से मुक्ति मिले
यही सोच है उसका |
आशा सक्सेना
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