किसी से कही मन की बात
सोचा मन हल्का हो जाएगा
और हँसी का पात्र बनी
लोगों ने पीछे से मजाक बनाया उसका|
यही बात जब जानी मन को संताप हुआ
अब सोचा किसी से कोई बात नहीं करेगी
सब को अपना नहीं समझेगी
यदि सच्चा मित्र बनाना हो कितना सोचेगी |
जितनी बार मित्र बनाया
हर बार ही धोखा खाया
पहले जांचेगी परखेगी
तब ही उस पर भरोसा करेगी |
यही एक बात सीखी है
उसने इस अनुभव से
अब वह भूल नहीं करेगी
जितना हो सके उसका
पहले परीक्षण करेगी |
जब उसमें यह सफल होगी
तभी आगे बढ़ने की सोचेगी
तब धोखा ना देगा देने वाला
यही एक वादा उसने खुद से किया |
अब बेफिक्र हो गई
किसी छलावे से
स्वविवेक का उपयोग करेगी
अब पीछे नहीं हटेगी |
आशा सक्सेना
सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंधन्यवाद ओंकार जी टिप्पणी के लिए |
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