तुम भोले शिव शंकर
कैलाश वासी कण कण में बसे
सरल संहज सब के दुख हरता
जगत के पालन हार |
धरती वासी हो अविनाशी
तुम्हारी दया सब पर होती
बहुत सरलता से
किसी को कठिन तपस्या नहीं
करनी पड़ती |
होते तुम प्रसन्न थोड़ी सेवा
से
तभी तो सारे भव सागर में
तुमको ही अधिक पूजा जाता
तुम्ही मार्ग दिखाते भवसागर
से पार उतरने का |
सब सोचते भवसागर तर जाएंगे
जब
तुमको पूजेंगे
पूरी श्रद्धा से, आस्था से
जब
याद करेंगे|
तुम्हारी चरण रज पा कर
सारी बुराइयां धुल जाएंगी
यही एक विश्वास रहा
मन में सब
के |
आशा सक्सेना
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
Your reply here: