06 जुलाई, 2023

वह देखती राह तुम्हारी

 

वह  देखती राह तुम्हारी

द्वार खुलते ही सड़क पर

नजर जाती वह  झांकती

दूर तक सड़क दिखाई देती |

पर तुम्हारा पता ना  होता

फिर वही क्रम जारी रहता

अचानक कोलाहल होता

आहट दरवाजा खुलने की होती

 वह  जान जाती खवर तुम्हारे आने की

जो खुशी उसको होती किसी और को नहीं

 बड़ी मुश्किल से अवकाश मिलता तुम्हें 

पर मन मार कर इन्तजार करती

आने पर इतनी खुश होती

खुद को ही  भूल जाती|

आशा सक्सेना 

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