किसी की बंदिश सहना नहीं मंजूर उसे
यदि उसने सोच लिया
उसने सही मार्ग चुना है
वह सही राह पर चल रही |
जो मन में आया वही किया उसने
किसी के साथ ना चल पाई वह
ना ही अनुसरण कर पाई किसी का
यही जिद रही उसकी उस में ही खुश रही |
छोटा समझ की जिद पूरी
किसी ने ठीक से समझाया नहीं उसे
हर जिद्द पूरी की उसकी
मन-मौजी बना दिया उसे |
जीवन की अच्छाई ने
मन मोजी बना दिया उसको
भूले से नहीं स्वीकारा है
है यही सलाह मेरी
यदि हो मन की चाह
उस पर चलना है
किसी से क्या कहा क्या सुना
अपने मन का गुबार निकाल
फेंका
यह कैसे सूझा
क्या तुम नही
जानते
मुझसे प्यारी वह लगी तुमको
लगा बड़ा कटु मन को मेरे
जो आज तक भूल ना पाई
उन
बातों को
मन में तीर सी चुभी वे
बातें
आसुँ की झील सी बह निकली
मिली नदिया में जा कर
बही साथ जा कर नदिया के
यह तक ना सोचा
अंत क्या होगा तेज
बहने से
क्या मैं अपना अस्तित्व बचा
पाऊँगी
राह भटक कर क्या होगा|
आशा सक्सेना
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