किसी के प्यार की तुमने
कोई कीमत नहीं समझी
यह होता अनमोल
किसी से तुलना नहीं उसकी |
जब से सोचा प्यार किसे कहेंं
जो स्वतः ही मन में जन्म ले
जिससे दिल में दर्द हो
उसे ही कहा जाता प्यार |
|किसी से माँँगे नहीं मिलता
यह अपने अंतर में
स्वतः ही जन्म लेता
सब को सही राह दिखलाता |
उसकी कद्र ही समझता
जो भी मिले सम्मान से स्वीकारता
फिर दिल से धन्यवाद देता
उसका आनंद ही कुछ और होता |
आशा सक्सेना
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सार्थक सृजन
जवाब देंहटाएंधन्यवाद ओंकार जी टिप्पणी के लिए |
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