कभी भी स्वप्न ना देखा
,नई दुनिया बसाने का
जो अपने पास है ,
उससे ही मन बहलाया
ऊंची उड़ान ना भरी,
आसमान को पाने के लिए
नहीं देखा स्वप्न ,वह सब पाने का ,
जो कभी भी पास ना था |
हर उम्र के कुछ स्वप्न,
जो कभी पूरे भी नहीं हुए
उम्र बीती जब पीछे रह गई,
तब सोचने का समय मिला
पर मन को ना समझा पाई
ना ही मन को दुखी होने दिया
, दी सांत्वना बड़े प्यार से
कभी दोष नहीं दिया अपने भाग्य को
सब छोड़ दिया प्रभु के हाथों में
निम्न पंक्ति याद आई
''बिना मांगे मोती मिले मांगे मिले ना भीख"
आशा सक्सेना
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