हमने की खोज तुम्हारे दर की
तुमने भी नहीं सोचा राह है किधर
भक्त को तो पता था तुम्हारे दर का
उसने दिखाया राह का पता मुझे |
मैंने किया धन्यवाद उसका
उसने भक्ति मार्ग की राह दिखाई मुझे
मुझे अच्छा लगा राह जान कर
अब मुझे भक्तिमार्ग बड़ा भला लगता|
जब से अपनाई मैंने भक्ति करने की
मन मेरा विभोर हुआ रमता गया भक्ति में
प्रभु मझे देर तो हुई पर
मन से क्षमा मांगी सच्चे दिल से |
अब मेरा सारा समय बीत जाता
तुम्हें याद करने में
सिया राम सिया राम जपने में
आत्मविश्वास लिए साथ में |
आशा सक्सेना
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