कब इनकार किया मैंने
तुमसे मन की बातें करने का
यही तो चाह है मेरी
तुमने मुझे समझा नहीं पहचाना
नहीं
मन को बहुत दुःख हुआ
यह भी तुमने महसूस ना किया
हर ज़रा सी बात पर अकडे रहते
हो
कोई तुम्हारी क्यूँ खुशामद
करे
मुझसा सरल स्वभाव कहाँ
खोजोगे
जब कोई ना मिलेगा मेरे ही
पास लौटोगे
यही है अनुमान मेरा
जो कभी नहीं गलत होता
तुमने भी इसे अनुभव किया
होगा |
मुझे बताने की आबश्यकता नहीं समझी
क्या मैंने गलत किया
तुमने समझाया नहीं मुझे
मुझे बड़ा दुःख हुआ
आशा सक्सेना
बहुत सुंदर।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद विश्व मोहन जी टिप्पणी के लिए |
हटाएंजहां दुख है वहाँ ही तो अहंकार है, जहां प्रेम है वहाँ आनंद है
जवाब देंहटाएंधन्यवाद अनीता जी टिप्पणी के लिए |
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