01 अक्तूबर, 2023

दिल की दवा


दर्द दिल तुम क्या जानो

 जब दिल का हुआ नहीं एहसास कभी 

छोटा सा दिल है भार बहुत है 

मन ने गहराई से खोजा

अपनों पराओं का भेद फिर भी ना किया

मन हुआ उदास जब खोज पूरी ना हुई

मैं किसी की ना हो पाई कोई मेरा ना हुआ

यही कमीं रही मन में

सच्चे मित्र को ना पहचाना

भले बुरे का ज्ञान ना हुआ

मन उदासी से भरा

किसी ने ना अपनाया मुझे

धीरे धीरे ज्ञान हुआ

है मुझमें और दूसरों में भेद क्या

एक खाली खोखला वर्तन

बेनूर जीवन हुआ तुम्हारे बिना

अब कोई आकर्षण नहीं रहा इसमें

अब दुनिया पर से भी

 विश्वास उठ गया है

खुद का भी पता नहीं

आगे क्या होने व़ाला है 

पर आगे पीछे की क्या सोचे

शायद भाग्य में यही रहा |

आशा सक्सेना 

 




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