05 अक्टूबर, 2023

नीलाम्बर में उड़ चले

   खुले आसमान में उड़ने के लिए 

किसी ने नहीं रोका  

वैसे भी वह  नहीं चाहती थी कोई व्यवधान 

  भी किसी कार्य में  स्वतंत्रता की कीमत पर |

खाली हाथ लिए घूमती 

 मन मारती छोटे छोटे कार्यों के लिए 

एक मुस्कान के लिए तरसती 

जीवन  के पल पल में |

अब तो बहुत कठिन है ऊंचाई तक पहुँचना 

पर हिम्मत ना  हारी मोर्चे पर खड़े   रहे 

ना ठहरे  किसी के रोकने से |

अपने  मार्ग पर बढ़ते रहे 

सब से अधिक ऊंचाई पर तिरंगा फहराया 

फिर आसमा परउड़ चले 

बिना किसी के बंधन के 

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