वह प्यार का भूखा नहीं है
स्नेह उसे भर पूर मिला है
फिर भी है अभाव उसके जीवन में
यह किसी से नहीं छिपा है |
कभी दिल खोल कर हंसता नहीं
ना ही कोई मित्र उसका
जिससे मन की बात सांझा कर पाए
अपने मन को हल्का कर पाए ||
वह तलाशता रहता अपने हम कदम को
ऐसा लगता जैसे वह हो भूखा केवल स्नेह का
किसी की माँको अपना समझ
सारा प्रेम न्योछावर करता
पर कभी नहीं सोचता
वह उसके बारे में क्या विचार करती |
कभी वह शिकायत भी करता कि
माँ का प्यार बट गया है
वह पूरा प्यार नहीं करती उसको
यही सोच मन में उदासी आई उसके
उसे कौन समझाएदूसरों की थाली में
मीठा ही मीठा नजर आता है उसे
दूसरों से तुलना करना ठीक नहीं
आशा सक्सेना
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