मन मयूर नृत्य करता हो कर तन्मय
कोई खुशी मन में ना रहे शेष
यही दुआ करता प्रभु से
खुद नाचता झूम झूम प्रकृति
में |
तब कोई उदास दिखाई ना देता
पर जब वह अपने पैर देखता
अश्रु जल अपने आप
उसके नयनों से छलकता |
यह आंसू ही मोहते मोरनी को
वह खिची चली आती उसकी ओर
दौनोंएक साथ नृत्य करते
समा रंगीन हो जाता |
आशा सक्सेना
सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंआभार
सादर
धन्यवाद यशोदा जी टिप्पणी के लिए |
हटाएंबहुत सुंदर रचना।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद रूपा जी टिप्पणी के लिए |
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 20 दिसंबर 2023 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंअथ स्वागतम शुभ स्वागतम।
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बहुत सुंदर रचना
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