जाने कितने सपने देखे सारी रात में
कुछ याद रहे कुछ भूल गई
जो याद रहे उनका सम्बन्ध रहा अवश्य
बीते जीवन की यादों से |
|यही सपने देते कष्ट सोचने पर
मन ने चाहा भुलाना उनको
क्या याद करना पुरानी बीती यादों को
कोई खुशी नहीं मिलती उनको याद कर के
|यह भी तो नहीं होता कि दुखों से दूर हों वे सपने
कभी मीठी यादें तो रहती हैं याद
तब होता मन के पास कुछ सोचने को |
मन उदासी के बारे में
कुछ सोचना नहीं चाहता
उसे भुला देना चाहता
अपने आने वाले जीवन से
कोई रूचि नहीं रही बीते कल की
यादों में उलझे रहने में
जीवन का सुकून घटता जाता
यदि उसी से जुड़े रहते |
आशा सक्सेना
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