“गीत गाओ “
दिल ने कहा गीत गाओ
मुझे प्यार करो मन को बहलाओ|
मेरे सपनों में खो जाओ
मैं कुछ तो तुम्हारी लगती हूँ
इसे न भूल जाना
मेरी जगह किसी को न देना |
यही है मन में मुझे न भुलाना
नहीं चाहती अपने
अधिकार को किसी से बांटना
तुम मुझे न भूल जाना
वजूद है मेरा यही
इस को किसी की नजर न लग जाए
मुझे याद करना मेरे मन में बसे रहना |
अपने एकाधिकार पर गर्व है मुझको
यह भ्रम न रह जाए
मेरा मनोबल न कभी डिगे
मन की स्थिती में वही द्रढ़ता रहे |
मैंने कोई गलत निर्णय न लिया हो
यही चाहती हूँ यही आशा लिए हूँ मैं
यही प्रभू से मांगती हूँ
मुझे मेरा अधिकार मिले
मैं किसी से बैर न मोल लूं
किसी से सांझा न करना नहीं चाहती
मन को दुःख न देना मेरे
झूटी आशा न दिलाना मन को न उलझाना
मन की मधुर कविता है
यह कोरा कागज नहीं है |
आशा सक्सेना
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