नीलाम्बर में उड़ते बादल 
पक्षियों को साथ ले कर 
कहीं ठहरने का स्थान नहीं वहां
 
फिर भी उत्साह कम नहीं है |
आगे बढ़ने की चाह मैं 
हुए व्यस्त मार्ग खोजने में
बादलों का अनुसरण करते में 
 हुए सफल गंतव्य तक पहुँचने में |
खुशियों की सीमा नहीं रही 
वहां पहुँच कर पेड़ पर डेरा
डालने में 
इस लिए ही तो रेस लगाई
बादलों संग 
खुशियाँ बाहों में आईं उनके
मधुर धुन गुनगुनाई तन्मय हो
कर |
समा रंगीन हुआ वहां का 
कुछ अनुभवों को जान लिया 
दूसरों को भी सलाह दी अपनी 
बड़ा आनद आया नए स्थान पर ठहर
कर |
आशा सक्सेना
उत्कृष्ट रचना
जवाब देंहटाएंधन्यवाद ओंकार जी टिप्पणी के लिए |
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