09 नवंबर, 2023

शब्दों की रीढ़

 

शब्दों की रीढ़

है अधूरा दीपक का जीवन

 अपने सहायकों के सिवाय

बिना तेल और  बाती के

जीने का अधिकार नहीं |

जब तक समीर ना हो तब भी

उसका भी है अधिकार

तेल और बाती के अलावा

दीपक के जलने में |

है आवश्यक चुने गए

शब्दों की रीढ़ अभिव्यक्ति के लिए

इनके बिना खड़े  होना

संभव नहीं होता अभिव्यक्ति के लिए |

यदि शब्दों की रीढ़ में कोई कमी हो

जीना कठिन हो जाता

हारा थका जीवन

 खिचता जाता  अभिव्यकि का |

आशा सक्सेना

 

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