तुमसे ना की शिकायत
ना ही दुःख मनाया
मन को दी सांत्वना केवल
जिससे तुम्हारा मन ना दुखे |
मुझे सब का ख्याल रहता है
यह भी तुमने ना जाना
मुझे तुमसे है यही शिकायत
तुमने मुझे समझा नहीं |
यदि तुमने मुझे समझा होता
हर पल मुझे नहीं सालता
त्योहारों पर उदासी ना होती
दिल की खुशी चौगुनी होती |
खैर मेरे भाग्य से ज्यादा
कुछ ना चाहिए नाही मिल पाया
इसका क्या दुःख मनाऊँ
जीवन ऐसा ही चलेगा |
आशा सक्सेना
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