आज की रात सपनों ने डेरा डाला
मेरी नींद पर जब तक दिन ना हुआ
सुबह होते ही वे कहाँ गुम हो गये
बहुत खोजा
मैंने पर असफल रही |
सब क्या क्यूँ कैसे में उलझे रहे
जिससे भी
पूंछा कारण सपनों के आने का
सब ने गोलमाल उत्तर दिया
मेरी क्षुधा कोई शांत न कर पाया |
मेरी बेचैनी इतनी बढी
कि डाक्टरों तक तारों तक जा पहुंची
जो लोग बहुत चिंता करते हैं
उनका मन शांत नहीं रहता सपने देखते हैं |
आशा सक्सेना
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
Your reply here: