भक्तो की महफिल में
भावों का समूहन हुआ
भावनाएं प्रवल हुई
भक्त हुए आसक्त उन में |
दोनो रहते साथ आपस
कोई बहस नहीं होती
मिलजुल कर साथ आते जाते |
जब आहाट होती दरवाजे पर
महमानों का स्वागत होता
दिलो जान से खुश हो कर
मेंहमानों को बैठाया जाता मंच पर |
कार्यक्रम पारंभ होता परिसर में
मां सरस्वति के पूजन अर्चन से
अपने अपने विचार रखे जाते
सब के समक्ष पूरे प्रमाणों से |
कार्यक्रम सफल होता
भगवत भजन की अन्तिम प्रस्तुति से
सब का स्वागत होता पुष्प मालाओं से
सब प्रस्थान करते अपने अपने घरों को |
आशा सक्सेना
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बेहतरीन रचना
जवाब देंहटाएंThanks for the coment
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