13 दिसंबर, 2023

उसका मनमीत

 

उसका मनमीत

खुश हाल जिन्दगी के लिए

चाहिए उसको  कोई हमसफर

जो सूरत और सीरत में

 उससे कम न हो |

वह  जो चाहे उस जैसा ही करे

उसके मन को ठेस ना पहुचे

वह  उसे मन का मीत कहे

उस जैसा प्यार कोई ओर न कर पाए |

वह हो उसकी प्रथम जरूरत

दूसरा कोई ओर ना हो उस जैसा

कोई उससे तुलना में आगे न हो

यही है चाह उसकी |

तभी अभी तक कोई ना मिला  

उसने जैसा चाहा  

 उसकी जिन्दगी रही  अधूरी

 मनमीत के बिना |

उम्र बीती इच्छा मरी

मन में प्यार न उपजा

जीवन हुआ सूखा वृक्ष सा

कोई चहकता पक्षी न आया |

जीवन हुआ बेरंग

कोई समझ ना पाया

दो प्रकार से जीवन बीता

एक के ऊपर एक मुखोटा जैसा |

आशा सक्सेना

3 टिप्‍पणियां:

  1. धन्यवाद मेरी रचना को आज के अंक में शामिल करने के लिए |

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  2. बहुत सटीक...
    आजकल कोई समझौता तो करना ही नहीं चाहता
    अपने अपने मापदंड हैं सबके...

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  3. धन्यवाद सुधा जी टिप्पणी के लिए |

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