उसका मनमीत
खुश हाल जिन्दगी के लिए
चाहिए उसको कोई हमसफर
जो सूरत और सीरत में
उससे कम न हो |
वह जो चाहे उस जैसा ही करे
उसके मन को ठेस ना पहुचे
वह उसे मन का मीत कहे
उस जैसा प्यार कोई ओर न कर
पाए |
वह हो उसकी प्रथम जरूरत
दूसरा कोई ओर ना हो उस जैसा
कोई उससे तुलना में आगे न
हो
यही है चाह उसकी |
तभी अभी तक कोई ना मिला
उसने जैसा चाहा
उसकी जिन्दगी रही अधूरी
मनमीत के बिना |
उम्र बीती इच्छा मरी
मन में प्यार न उपजा
जीवन हुआ सूखा वृक्ष सा
कोई चहकता पक्षी न आया |
जीवन हुआ बेरंग
कोई समझ ना पाया
दो प्रकार से जीवन बीता
एक के ऊपर एक मुखोटा जैसा |
आशा सक्सेना
धन्यवाद मेरी रचना को आज के अंक में शामिल करने के लिए |
जवाब देंहटाएंबहुत सटीक...
जवाब देंहटाएंआजकल कोई समझौता तो करना ही नहीं चाहता
अपने अपने मापदंड हैं सबके...
धन्यवाद सुधा जी टिप्पणी के लिए |
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