29 दिसंबर, 2023

दीपक हुआ उदास




है आज दीपक उदास

अकेलापन उसे डसता है

जब से हुआ अपने

सयोगीयों से जुदा |

बैठा है बहुत  उदासी से भरा

 अपने साथिओं के अभाव मैं

जिनने उसे छोड़ा बिना बात

उसने पाया अकेला खुद को |

उसने सोचा था

वह  अकेला ही काफी है

जलने के लिए समीर के साथ  

अपने  कार्य के लिए |

 नहीं आवश्यकता होगी

 तेल और बाती की

पर वह जान न पाया

अकेला कुछ नहीं कर सकता |

बिना सहयोग लिए

 तेल और बाती  का

समीर के बिना भी

 कुछ नहीं हो सकता  |

जब सब एकत्र हो  जाते हैं

मिल जुल कर कार्य

 सम्पन्न करते हैं  

दीपक जल जाता है

पूर्ण रौशनी के साथ |

मन का अन्धेरा भी

 लुप्त हो जाता है

जब घर का कोना कोना

रोशनी में नहाता है |

आशा सक्सेना 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Your reply here: