30 दिसंबर, 2023

जीवन की गाड़ी


 

जब जन्म लिया बड़ी हुई 

मेरी गाड़ी चल निकली

समय के साथ साथ

कोई व्यवधान नहीं आया |

जीवन चला निर्वाध गति से

कोई कठिनाई नहीं आई मार्ग में

पर जैसे जैसे उम्र बढ़ी

बाधाओं ने रंग दिखाना प्रारम्भ किया  |

पहले छोटे झटके लगे जिनसे सरलता से उभरी  

बड़े झटके सहन ना कर पाई लडखडाई गिरी

फिर गिर कर सम्हली आगे चली

अब तो यह रोज की बात हो गई |

समय की गति तो सामान्य  रही

 मेरी गाड़ी की गति कभी तेज कभी धीमी हुई

मेरी गाड़ी समय की बराबरी न कर सकी

आखिर हिम्मत हार गई बहुत पिछड कर रह गई |

आई प्रभु की शरण है तरन तारण

अब वही आशा ले कर आई हूँ

मेरी आशा पूर्ण करों भव सागर से पार करो

 गाड़ी सही मार्ग पर लाओ जीवन का बेड़ा पार लगाओ|

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