आने को है संक्रांति पर्व
बच्चों में अभूतपूर्व उत्साह
पिछले सप्ताह ही डोर लाए
लाए पतंग छोटी बड़ी रंग बिरंगी |
माझा सूता जोत बांधी
की तैयार पतंग
कल सुवह से ही छत पर
जाकर उडाएगे पतंग
तरह तरह की आवाज
छतों पर सुनाई देंगी
वो काटा यह काटा, ढील दे,
पेच लड़ाएगे जोर से |
पतंग कटते ही
आवाज उठेगी लाड़ी आई है
शोर भी गजब का होगा
बच्चे किलकारी भरेंगे
अम्मा के बनाए
लड्डुओं को खाएंगे
अपन मित्रों को खिलाएंगे |
मेरी पतंग अकेली
जब उड़ान भरेगी ऊँचाई पर
यदि काटी गई
होगी विलीन नीलाम्बर में |
मन होगा उदास
जब रह जाएगी अकेली
बेग से नीचे गिरेगी
बच्चे कहेंगे हराया है |
आशा सक्सेना
बचपन की याद ताजा हो गई
जवाब देंहटाएंधन्यवाद स्मिता टिप्पणी के लिए |
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