देखी
पोस्ट अंतराष्ट्रिया हिन्दी दिवस पर
मन हुआ अपार प्रसन्न
देख कर भाषा में परिमार्जन
हिन्दी का कोई मुकाबला नहीं
किसी अन्य भाषा से |
भारत में जहां भी जाएं
हिन्दी सरलता से बोली जाए
यह राष्ट्रीय भाषा
कहलाए गलत क्या है
जरूरी नहीं कि
अन्य भाषाएँ नहीं सीखें
आवश्यक है उन के गुलाम
न बनें रहने की |
हमें गर्व है अपनी भाषा पर
उसके साहित्य पर
जहां जाते हैं भूरिभूरि
प्रशंसा पाते हैं
हिन्दी साहित्य पर
हिन्दी कवियों की
तो बाढ़ लगी है
दिल खोल कर लिखते है
खुले दिल से गाते हैं |
भारत की अपनी
भाषा है हिन्दी
उसके माथे पर
बिंदी सजती
प्रयत्न जारी रहेंगे
इसकी प्रगति पर
हमें अभिमान है
अपनी भाषा पर |
आशा सक्सेना
बेहतरीन मनोभाव
जवाब देंहटाएंसुन्दर
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