कभी जो कुलाचें भरती थीं
जंगल में हिरनी सी
हुई धीर गंभीर
तुम्हारा साथ पा |
यह करिश्मा हुआ कैसे
यह परिवर्तन आया कैसे
तुमने क्या जादू किया
वह भूली चंचल चपल चाल |
उसने कोई विचार किया
किसी ने टोका या रोका
या उसने गंभीरता से लिया
कारण समझ न आया |
जो भी हुआ अच्छा हुआ
साथ तुम्हारा पाकर
उसमें जो आया परिवर्तन
उसको धीर गंभीर बनाया |
आशा सक्सेना
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