07 फ़रवरी, 2024

जब ध्यान ना रखा

 

है एक दिन की बात है  

मैदान पर खेलने गए थे

समय का ध्यान ही नहीं रहा

शाम गहराई ,होने लगी रात |

हम छोटे थे रुआसे हुए

अब घर कैसे जाएंगे  

एक राहगीर उधर से जा रहा

रोने का करण जान कर

हाथ थामें उसने छोड़ा घर पर

अब समय का ध्यान रखने

 की कसम खाई

अपने को बहुत समझदार समझा

एक शिक्षा ली

 समय का ध्यान रखने की

आशा सक्सेना  

2 टिप्‍पणियां:

Your reply here: