१-दो कबूतर
बैठे एक डालपे
गुटर गूं की
-दाना खा रहे
मिल बांट कर प्यार से
खुश हो कर
- प्यार ही प्यार
फैला आसमान में
मीठी बोली है
उड़ान भरी
कबूतर सामान
नही आराम
-है मेहनती
किसी से कम नहीं
अलग दिखे
संदेश देता
अपनी ही प्रिया को
पत्र दे कर
कबूतर है
साथ में कोई नहीं
पत्र वाहक
अनुशासन
कबूतर सामान
-दो कबूतर
बैठे एक डालपे
गुटर गूं की
-दाना खा रहे
मिल बांट कर प्यार से
खुश हो कर
- प्यार ही प्यार
फैला आसमान में
मीठी बोली है
उड़ान भरी
कबूतर सामान
नही आराम
-है मेहनती
किसी से कम नहीं
अलग दिखे
संदेश देता
अपनी ही प्रिया को
पत्र दे कर
कबूतर है
साथ में कोई नहीं
पत्र वाहक
अनुशासन
कबूतर सामान
नही आराम
-है मेहनती
किसी से कम नहीं
अलग दिखे
-संदेश देता
अपनी ही प्रिया
को
पत्र दे कर
-कबूतर है
साथ में कोई नहीं
पत्र
वाहक
अनुशासन
सिखा रहा किससे
कहाँ जाकर
१-दो कबूतर
बैठे एक डालपे
गुटर गूं की
-दाना खा रहे
मिल बांट कर प्यार से
खुश हो कर
- प्यार ही प्यार
फैला आसमान में
मीठी बोली है
उड़ान भरी
कबूतर सामान
नही आराम
-है मेहनती
किसी से कम नहीं
अलग दिखे
संदेश देता
अपनी ही प्रिया को
पत्र दे कर
कबूतर है
साथ में कोई नहीं
पत्र वाहक
अनुशासन
कबूतर सामान
आशा सक्सेना
सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंबेहतरीन 🙏
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