10 मार्च, 2024

बचपनसे योवन तक

 आज की हंसती खिलखिलाती

 मधुरता बिखेरती बालाओं का   

जीवन है अनमोल  वेश कीमती 

हैं घर की रौनक वे 

दो परिवारों की सम्रद्धि हैं वे 

उनसे  किसी की तुलना नहीं

 स्वर्ग सा प्रतीत होता है 

जहां  हो वास बालाओं का 

वह घर हरा भरा खुशियों से 

महक आती है पुष्पों की 

सुरभि फैल जाती है दूर तक |

बचपन की रौनक किसी से कम नहीं 

घर भरा जाता है किलकारियों से बचपन की |

सुधड़ हो जब दूसता घर आबाद करती 

सब की खुशी का ठिकाना नहीं होता 

वह  हो कर सफल गृहणी 

सभी का अभिमान होती |

आशा सक्स्तना 





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