28 मार्च, 2024

जब रात स्वप्न

 

जब रात स्वप्न

 मन में से

 आने जाने लगे

उन को मन में

 बसने दिया जाए

कब तक उस पर निर्भर रहे

 नही कहां  जा सकता|

मन के अनुसार चला

  सकता |

आशा सक्स्ना

2 टिप्‍पणियां:

  1. आपने बहुत सादे शब्दों में गहरी बात कह दी कि सपनों और मन की चाल पर हमारा पूरा नियंत्रण नहीं होता। कभी वो आते हैं, कभी चले जाते हैं, और हम बस उन्हें जगह देते रहते हैं। सच कहूँ तो ये छोटी कविता पढ़कर एक अजीब-सी शांति महसूस हुई, जैसे किसी ने भीतर की उलझनों को शब्दों में बाँध दिया हो।

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