पहले सूखे की आशंका
फिर अति की वर्षा
यह कैसा मिज़ाज तेरा
आभास तक न होता
जरा सी बेरुखी तेरी
समूचा हिला जाती
कितनी आशाएं जुड़ी तुझसे
क्यूं समझ नहीं पाता
बूँद बूँद को तरसती निगाहें
तपिश इतनी कि जीना मुहाल है
उस उमस का क्या करें
जो बेरहम होती जाती
तब भी तुझे दया न आती
कभी गर्मी कभी सर्दी
तेरा व्यवहार अनोखा
जीवन सहज न हो पाता
बेचैन किये रहता
ऐसी अपक्षा न थी तुझसे
कभी तो सामान्य हो
जिन्दगी सरल हो पाए
तनाव से छुटकारा हो |
आशा