15 जुलाई, 2015

शक्ति स्वरूपा राधा

 
Rupa Grover's photo.

 तुम मेरी शक्ति हो राधा
तुम ही मेरी प्रेरणा
जब भी तुम्हें निहारूं
अपना जीवन तुम पर वारूँ |
दया दृष्टि रखना मुझ पर
भूले से भी ना बिसराना
तुम हो भक्ति की शक्ति
तुम हीयोग माया |
मधुर मुस्कान तुम्हारी
देती है संबल मुझको
जाग्रति मन में होती है
भक्ति अधिक बढ़ती है |
छबि तुम्हारी सब से प्यारी
दुनिया तुम से हारी
मैंने हार न मानी
अभय दान चाहा है तुमसे
जीवन डोर  तुम्हीं  से बांधी |
आशा





  • 14 जुलाई, 2015

    क्षणिकाएं

    दो जिस्म एक जान 
    यूं ही नहीं पाए 
    है कीमती सलाह 
    व्यर्थ यूं ही न जाए |

    प्यार की सीड़ी  चढ़े थे 
    थामीं बाहें थीं 
    छोड़ने के नाम से 
    कांपती वह आज भी |

    आज आ बाहों में आजा
    कल क्या हुआ उसे भूल जा
    यदि क्रोध मन से न गया
    सोच क्या होगा भविष्य अपना |


    आया नहीं तेरा ख़त 
    वह ताकती रही छत 
    यदि तुझसे नहीं सहमत 
    फिर करे क्यूं कवायत |

    की तुझसे मुलाक़ात बड़ी शिद्दत से 
    .हुई पूर्ण आस बड़ी मुश्किल से 
    खुशियों का ठिकाना न रहा मिल कर तुझसे 
    सुनने सुनाने का मौक़ा मिला मुझे दिल से |
    आशा

    चित्र क्या कह रहा

    13 जुलाई, 2015

    रिश्ते बदल गए


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    यह कैसा परिवर्तन
    जान नहीं पाई 
    हैरान हूँ परेशान हूँ
    आज अचानक क्या हुआ
    सब कुछ बदलने लगा
    अपने ही घर में
    महमान हो कर रह गई
    कहने सुनने की
    मनाही  हो गई
    मन के भाव किससे बांटूं
    दिल की किससे कहूं
    अब तो अपने भी
     पराए हो गए
    मुझे गैर को सोंपा
    सहमति तक मेरी न जानी
    फिर बार बार याद दिलाया
    यह घर अब तुम्हारा नहीं
    वहीं जीना वहीं मरना है
    वही घर तुम्हारा है
    यही बात मुझे खलती है
    कचोटती है
    इतने वर्ष जहां रही
    वह अब कैसे अपना न रहा
    जो कभी अपने थे
    अब गैर कैसे हो गए
    सात फेरे क्या हुए
    रिश्ते ही बदल गए
    अपने ही घर में
    महमान हो कर रह गए |
    आशा

    12 जुलाई, 2015

    बंसी



    sमुरली कान्हा की के लिए चित्र परिणाम

    बांस से बनी बांसुरी
     छू कर कान्हां के अधर
    बजने लगी मधुर धुन में
    डूबी है प्रेम रस में |
    सुर  गहराई से निकले
     सुध बुध भूल  गोपियाँ
    थिरकने लगीं
    खोने लगीं उसी धुन में |
    भूली सारे काम काज
    बस एक बात ध्यान रही
    कान्हां उनके मन में समाए
    उन पर जादू कर गए |
    वे कान्हां की हो रह गईं
    आज भी  हैं कर्ण  उत्सुक
    वही मधुर धुन सुनने को
    कान्हां के दर्शन को |
    आशा

    10 जुलाई, 2015

    पार लगाओ नैया

    09 जुलाई, 2015

    ग्रहण


     व्यापम घोटाला क्या है के लिए चित्र परिणाम
    उन्नति को ग्रहण लगा
    तम और गहराया
    जिससे उभर न पाया
    रात दिन भयभीत रहता
    कौन बैरी हो गया  
    किसी का सुख देखा न गया
    काँटों से स्वागत किया
    प्यार तो बरसाया नहीं
    कर दी वृष्टि ओलों की
    तोड़ दी कमर
     छोड़ी ना कोई कसर
    घोटालों की पोल खोली
    यहाँ तक भी ठीक था
    पर क्या यह गलत न था  
    गेहूं के साथ घुन भी
    पिस रहे थे 
    परीक्षाएं निरस्त हो गईं 
    सारी महनत व्यर्थ गई 
    उन्नति मार्ग बाधित हुआ 
    बड़ी कठिनाई से फार्म भरा था 
    वही उधारी शेष  है 
    अब कैसे फार्म भरा जाए
    सोचने के सिवाय 
    और ना कुछ शेष है
    स्वप्नों का जाल टूट गया 
    अब भ्रम में जी रहा है 
    शायद कोई चमत्कार हो 
    इस ग्रहण से छुटकारा हो |
    आशा