31 जनवरी, 2017
30 जनवरी, 2017
तब और अब
थिरके मुरली की धुन पर
पर वह बात न देखी
जो थी माधव की मुरली में |
उस मधुर धुन पर नर्तन
राधा रानी के साथ में
मन मोह लिए जाती
जीवन में गति आ जाती |
पहले था पारद धातु सा जीवन
यहाँ वहां लुढ़कता था
स्थिर नहीं हो रह पाता था
पर अब कुछ परिवर्तन तो आया |
है यह कैसा स्वभाव उसका
चंचल उसे बना गया
चंचल उसे बना गया
मनमानी वह करता
स्थिर कभी न हो पाता |
मोहन को धेनु चराते देखा
काली कमली ओढ़ कर
गौ धूलि बेला में
उन्हें धुल धूसरित आते देखा |
अब वह बातें कहाँ रहीं
गाएं अकेले आती जाती हैं
खुद को असुरक्षित पाती हैं
मोहन की हांक बिना |
आशा
स्थिर कभी न हो पाता |
मोहन को धेनु चराते देखा
काली कमली ओढ़ कर
गौ धूलि बेला में
उन्हें धुल धूसरित आते देखा |
अब वह बातें कहाँ रहीं
गाएं अकेले आती जाती हैं
खुद को असुरक्षित पाती हैं
मोहन की हांक बिना |
आशा
25 जनवरी, 2017
तिरंगा हमारा
तिरंगा हमारा देख कर
हुआ उन्नत भाल
मन ही मन उत्फुल्ल हुआ
नहीं जिसकी मिसाल |
तिरंगे की छाँव तले
देश ने एक स्वप्न सजाया
जिस को पूर्ण करने के लिए
कर्मठता का दामन थामा|
यही उसे आगे बढ़ाती
देश को अग्रणी बनाती
अपनी ऊर्जा से देश को
नया रूप देना चाहती |
तिरंगे के तीन रंग
अपने आप में पूर्ण
भगुआ रंग जोश भरता
सारे कार्य सफल करता |
श्वेत रंग शान्ति का द्योतक
समृद्धि का हरा रंग परिचायक
चक्र बताता विविधता में एकता
देख देख मन न भरता |
भारत माता की जय बोलता
बार बार दोहराता
कर्मठता की राह पर चलता
खुद को धन्य समझता |
आशा
23 जनवरी, 2017
नाराजगी
न जाने क्यों
आज सुबह से है
नाराज बिटिया
मना मना कर
थक गई हूँ
पर कर रही मुझे
नजर अंदाज गुड़िया
अरे जरासा मुस्कुरा दोगी
तो क्या होगा
दुर्बल तो न हो जाओगी
मेरा खून अवश्य
बढ़ जाएगा
तुम्हारी मुस्कान देख
भगा दो यह क्रोध
अपनी निगाहों से
बचपन में यह
अच्छा नहीं लगता
प्यार से अपनी बाहें
मेरे गले में डालो
मैं निहाल हो जाऊंगी
तुम पर वारी जाऊंगी |
आशा
21 जनवरी, 2017
है कौन
आप जब भी करीब आए
एहसास अनोखे जागे
पर एतवार नहीं होता
वे सत्य हैं या छद्म रूप
जान जाइए
कभी सत्य नजर आते
कभी विचारों में बिलमाते
है ममता प्यार या दिखावा
या ओढ़ा हुआ आवरण विशेष
पहचान जाइए
है ऐसा क्या उसमें
नजदीकी ही बताएगी
जब पूर्ण आकलन हो
आभास से ही उसको
जानने का जज्बा हो
तभी जान पाएंगे
उसे पहचान पाएंगे
है शबनम में भीगा गुलाब
आज में उसे जानते हैं
मन में ही सही
उसे जान जाइए
पहचान जाइए |
आशा
19 जनवरी, 2017
तनाव
तरस गईं
तेरी एक झलक
पाने को
दरवाजा तक
खुल गया है
वीराने में
बहार आजाने को
अब देर क्या है
होगा तुझे ही पता
क्या रखा है
इसा तरह
उसको तरसाने में
एहसास प्यार का
ले आया उसे
तुझ तक
जब तुझसे
दूरी हुई
जिन्दगी सराबोर हुई
तेरी यादों में
सिमट कर
उनमें ही
डूबी रहती है
बाक़ी सब को
भूल गई
यह अन्याय नही
तो और क्या है
तुझसे दूरिया उसकी
सजा नहीं तो क्या है
प्यार में कटुता
कहाँ से आई है
हम ठहरे गैर
नहीं जानते
आखिर क्या
चल रहा है
दौनों में
हम से यदि
सांझा किया होता
शायद कुछ
सहज हो पाते
तनाव से होते दूर
अपना प्यार बाँट पाते |
आशा
16 जनवरी, 2017
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