23 नवंबर, 2014

माँ पर चंद हाईकू |





वह दुलार
नहीं है निराधार
है पता मुझे |

रिश्ता मधुर
माता की ममता सा
नहीं दूसरा |

मन पंछी सा
पहुंचा माँ के पास
नहीं उदास |

हाथ पकड़
चलना सिखाया था
मेरी माता ने |

ममतामयी
गरिमामयी वह
मेरी जननी |

ममता माँकी
वह क्या जान पाए
जो बच्चा नहीं |
आशा

21 नवंबर, 2014

अभिलाषा


ना चाहत कुछ पाने की
ना ही झूठे वादों की
रीत जगत की जानी
चलती रहती मनमानी
गीत मधुर तूने गाया
यूं ही नहीं सब ने सराहा
सुनते ही मन भर आया
तूने पुरूस्कार पाया
अभिलाषा थी मेरी 
तू ही तू शिखर पर हो
आज इच्छा पूर्ण हुई
प्रार्थना  स्वीकार हुई
ना छीना अधिकार किसी का
सच में तूने जीना जाना
पारदर्शिता के चलते
जो स्थान तूने पाया
मेरी धारणा झुटलादी
कुछ पाने के लिए
छीनना नहीं आवश्यक
मनमानी हर जगझ नहीं होती
गुणवत्ता भी जरूरी होती |
आशा



19 नवंबर, 2014

लाल यशोदा का



माई री माई
है ढीठ कन्हाई
फोड़ी दधि मटकी
धरती पर पटकी
की झूमाझटकी
यही बात खटकी
यूं बहियाँ मरोड़ी
की जोराजोरी
तब चुनरी सरकी
राधा के सर की
सावला कन्हिया 
बंसी का बजैया 
लगता है रसिया 
वृन्दावन बसिया 
गोरी  सी राधा 
जिस पर दिल वारा 
उससे ही हारा 
लाल यशोदा का |



आशा