रात की ठंडक बढी
आसमान में जब चन्दा चमकता
कभी छोटा कभी बड़ा वह बारबार रूप बदलता
पन्द्रह दिन में पूर्ण चन्द्र होता |
नाम कई रखे गए उसके
कभी गुरू पूर्णिमा कभी शरद पूर्णिमा
चाँद कभी चौधवी का
ऐसा कहा जाता है
स्वास्थ्य की दृष्टि से
इस रात अमृत की वर्षा होती
कई रोगों के उपचार में बड़ी सहायक होती |
शरद पूर्णिमा की रात होती जश्न मनाने की
मां सरस्वती की आराधना की
गीत संगीत की महफिल सजती
रात्री जागरण होता नृत्यों का समा बंधता |
आधी रात तक का समय
कैसे बीत जाता पता नहीं चलता
फिर चलता अमृत से भरी खीर पान का
केशरिया दूध पीने का |
आज जब कोरोना की कुदृष्टि है सब ओर
हर जश्न फीका फीका रहा
ना कविता का दौर चला ना ही नृत्य उत्सव हुआ
बस गाने थोड़े से सुन पाए |
आशा