लो आ गई काली बदरिया
मौसम ने करवट बदली है
कभी नन्हीं बूँदे बरस जाती हैं
आने को है वर्षा जताती हैं
वर्षा का आग़ाज करा जाती हैं
हल्की सी ठंडक बढ़ी है
खुशनुमा मौसम हुआ है
बहती है मनमोहक बयार
मन रमा रह
जाता यहाँ
हरी भरी वादी में
रंग बिरंगे फूल खिले हैं
बेंच पर बैठ यहाँ देखे
जो दृश्य विहंगम
मन के केनवास पर उतारने का
गहरे रंगों से
उन्हें सजाने का
हुआ है
अरमां जागृत
भीतर का सजग चित्रकार जगा है
कल्पना जगत में
खोने लगा है
मनमौजी है तूलिका
उसकी खूब चलती है
यूँ तो अभी बाहर भ्रमण का मन है
पर पानी में भीगने
का भी डर है
जकड़ लिया सर्दी ने यदि बड़ी समस्या होगी
कड़वी दवा से
साक्षात्कार होगा
उससे दूर भागने का
कोई विकल्प न होगा
घूमने का सारा मजा
किरकिरा होगा |
आशा