जीवन सरल नहीं होता
हर कोई सफल नहीं होता
यदि किताबों से बाहर झाँका होता
अपने रिश्तों को आँका होता
कठिन घड़ी हो जाती पार
जीवन खुश हाल रहा होता |
पहले भी सब रहते थे
दुःख सुख भी होते रहते थे
इस समाज के नियम कड़े थे
फिर भी जीवन अधिक सफल थे |
सुख दुःख का साँझा होने से
कभी अवसाद नहीं होता था
जीवन जीना अधिक सहज था
पर आज जीना हुआ दूभर |
कभी सोचा है कारण क्या
हम रिश्तों को भी न समझ पाए
केवल अपने में रहे खोये
संवेदनायें मरने लगीं
और अधिक अकेले होने लगे |
रिश्तों की डोर होती नाज़ुक
अधिक खींच न सह पाती
यदि समझ न पाए कोई
रिश्तों को बिखरा जाती |
मन पीड़ा से भर उठता
कोई छोर नजर नहीं आता
ग्रहण यदि लग जाये
घनघोर अँधेरा छा जाता |
जिसने रिश्तों को समझा
गैरों को भी अपनाया
वही रहा सफल जीवन में
मिलनसार वह कहलाया |
आशा
अपने रिश्तों को आँका होता
कठिन घड़ी हो जाती पार
जीवन खुश हाल रहा होता |
पहले भी सब रहते थे
दुःख सुख भी होते रहते थे
इस समाज के नियम कड़े थे
फिर भी जीवन अधिक सफल थे |
सुख दुःख का साँझा होने से
कभी अवसाद नहीं होता था
जीवन जीना अधिक सहज था
पर आज जीना हुआ दूभर |
कभी सोचा है कारण क्या
हम रिश्तों को भी न समझ पाए
केवल अपने में रहे खोये
संवेदनायें मरने लगीं
और अधिक अकेले होने लगे |
रिश्तों की डोर होती नाज़ुक
अधिक खींच न सह पाती
यदि समझ न पाए कोई
रिश्तों को बिखरा जाती |
मन पीड़ा से भर उठता
कोई छोर नजर नहीं आता
ग्रहण यदि लग जाये
घनघोर अँधेरा छा जाता |
जिसने रिश्तों को समझा
गैरों को भी अपनाया
वही रहा सफल जीवन में
मिलनसार वह कहलाया |
आशा