जन सैलाब उमढ़ता
जाने किसे देखने को
लोगों को एकत्रित देख
राह चलते रुक जाते लोग
कुछ और लोग जुड़ जाते है
अक्सर वे यह भी न जानते
भीड़ का कारण क्या है
फिर भी बुत से बने हुए वे
वहीं खड़े रह जाते हैं
फिर सड़क छाप जमावड़े का
पूरा मजा उठाते लोग
जैसे ही पुलिस देखते हैं
तितर बितर भी हो जाते हैं
यदि कोई दुर्घटना हो
या दुःख का हो कोई अवसर
कुछ ही लोग मदद करते हैं
बाकी तमाशबीन होते हैं
अपने घर चल देते हैं
हर किस्से को बढा चढा कर
जब चटकारे ले कर सुनाते
वास्तविकता क्या थी
वे यह भी भूल जाते हैं |
आशा