जब से तेरी तस्वीर सीने से लगाई है
दिल पर अधिकार न रहा
उसकी धडकन कभी धीमीं
तो कभी तेज हो जाती है
तस्वीर कभी रंगीन तो कभी रंग हीन
नजर आती है |
उससे निकली आवाज कभी ताल में
तो कभी बेताल हो जाती है
यह कहीं मेरे अंतर्मन में उठते
विचारों का सैलाव तो नहीं
जो मुझे बहा ले जाता है |
जब भी मैं खुश होता हूँ
उस पर भी खुशी झलकती है
देख कर मेरी उदासी
वह गम के साये में खो जाती है
बहुत उदास नजर आती है |
तू जाने किस अन्धकार में खो गई
पर मन में इस तरह बस गई
जहां भी नजर पडती है
तेरी याद आ जाती है
दिल की धड़कन बढ़ जाती है
यह कहीं मेरा भ्रम तो नहीं
तू जीती जागती
सजीव नजर आती है |
ऐसे ही अगर जीना है
हम यह भी सह लेंगे
कोई गिला शिकवा न करेंगे
किसी सहारे की दरकार नहीं है
बस इसी तरह जी लेंगे |
आशा