
जाने कितनी यादें
दिल में समाई
जब भी झांका वहाँ
तुम ही नजर आए |
वे सुनहरे दिन
वे उल्हाने वे वादे
सारा चैन हर लेते थे
जाने कब पलक झपकती थी
कब सुबह हो जाती थी |
स्वप्नों के झूलों में झूली
राह देखना तब भी न भूली
अधिक देर यदि हो जाती
बहुत व्यथित होती जाती |
द्वार पर होती आहट
मुझे खींच ले जाती तुम तक
नज़रों से नजरें मिलते ही
कली कली खिल जाती |
वे बातें कल की
भूल न पाई अब तक
हो आज भी करीब मेरे
पर प्यार की वह उष्मा
हो गयी है गुम |
कितने बदल गए हो
दुनियादारी में उलझे ऐसे
उसी में खो गए हो
सब कुछ भूल गए हो |
कोइ प्रतिक्रया नहीं दीखती
भाव विहीन चेहरा रहता है
गहन उदास चेहरा दीखता है
हंसना तक भूल गए हो |
इस दुनिया में जीने के लिए
ग्रंथियों की कुंठाओं की
कोइ जगह नहीं है
उन्हें भूल ना पाओ
ऐसी भी कोइ वजह नहीं है |
खुशियों को यदि ठोकर मारी
वे लौट कर न आएंगी
जीवन बोझ हो जाएगा
मुस्कान रूठ जाएगी |
आशा