कुछ बड़े कुछ छोटे छोटे
समेटे हुए बहुत कुछ
कल आज या भविष्य की
या कल्पना जगत की
कुछ कहते कुछ छिपा जाते
रंगीन या श्वेत श्याम
चित्रों से सजाए जाते
विश्वसनीय दिखाई देते
पर सारे सच भी नहीं होते
होते स्वतंत्र विचारों के पक्षघर
फिर भी प्रभावित
किसी न किसी
से
कुछ उपयोगी कुछ अनुपयोगी
सामिग्री परोसते
सजा कर
विभिन्न कौनों में
तस्वीरें भी लुभातीं
बहुत कुछ कहना चाहतीं
आदत सी हो गयी है
सर्व प्रथम प्रातः
उसे हाथ में थामने की
उससे चिपके रहने की
सरसरी नजर से
उसे टटोलने की
यदि किसी दिन ना मिल पाए
चाय में चीनी भी कम लगती
आदत जो पड़ गयी है
हाथ में कप चाय का ले
सुबह अखबार पढने की |